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दिवाली बोनस विवाद: कर्मचारियों ने आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे टोल फ्री कर दिया

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दिवाली बोनस विवाद: कर्मचारियों ने आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे टोल फ्री कर दिया
दिवाली बोनस विवाद: कर्मचारियों ने आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे टोल फ्री कर दिया

लखनऊ/आगरा: दिवाली के ठीक बाद आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर एक अनोखा विरोध देखने को मिला। दिवाली बोनस को लेकर नाराज टोल कर्मचारियों ने शुक्रवार को एक्सप्रेसवे को घंटों टोल फ्री कर दिया, जिससे कंपनी को लाखों रुपये का नुकसान हुआ और यात्रियों के बीच अफरा-तफरी मच गई।

क्या है पूरा मामला?

सूत्रों के मुताबिक, एक्सप्रेसवे टोल प्लाजा पर तैनात कर्मचारियों को इस साल दिवाली बोनस नहीं दिया गया, जबकि पिछले वर्षों में यह बोनस नियमित रूप से मिलता था।
जब कंपनी प्रबंधन ने बोनस भुगतान से इंकार किया, तो कर्मचारियों ने सुबह 9 बजे से सामूहिक विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया।

विरोध बढ़ता गया, और कर्मचारियों ने सभी टोल गेट खोल दिए, जिससे वाहनों को बिना शुल्क के गुजरने दिया गया।

एक कर्मचारी ने बताया, “हमने पूरा साल मेहनत की, और त्योहार के वक्त हमें बोनस से वंचित कर दिया गया। यह अन्याय है।

लाखों का नुकसान, कंपनी प्रबंधन में हड़कंप

एक्सप्रेसवे को करीब 3 घंटे तक टोल फ्री रखा गया। इस दौरान हजारों वाहन बिना शुल्क के गुजरे, जिससे कंपनी को अनुमानित ₹25–30 लाख का सीधा नुकसान हुआ।
प्रबंधन के अधिकारी मौके पर पहुंचे और पुलिस की मदद से स्थिति को काबू में किया गया।

कर्मचारियों से बातचीत की जा रही है। बोनस को लेकर आंतरिक चर्चा जारी है

यात्रियों को मिला अप्रत्याशित ‘गिफ्ट’

इस विरोध के चलते यात्रियों को मिला अप्रत्याशित लाभ। कई लोगों ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए लिखा कि आज “टोल फ्री एक्सप्रेसवे” का मज़ा कुछ और था।
हालांकि कुछ ने इसे सिस्टम फेलियर और अनुशासनहीनता बताया।

सरकार और प्रशासन की प्रतिक्रिया

घटना की जानकारी मिलने पर यूपी एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी (UPEIDA) और स्थानीय पुलिस प्रशासन हरकत में आया।
प्रशासन ने कंपनी से रिपोर्ट मांगी है और कर्मचारियों से भी स्पष्टीकरण तलब किया है।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया,

“टोल सेवाएं अब सामान्य हो चुकी हैं। हम जांच कर रहे हैं कि बोनस भुगतान विवाद कहां अटका।”

कंपनी-कर्मचारी विवाद का पुराना इतिहास

यह पहली बार नहीं है जब आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर ऐसा विवाद हुआ हो।
पिछले वर्ष भी ओवरटाइम भुगतान और कार्य परिस्थितियों को लेकर कर्मचारियों ने प्रदर्शन किया था।
इस बार त्योहारी बोनस ने आग में घी डालने का काम किया है।

नुकसान का असर और संभावित कार्रवाई

आकलन के मुताबिक, कंपनी को केवल शुक्रवार को ₹25–30 लाख का नुकसान, जबकि एक्सप्रेसवे संचालन ठप होने से कई घंटे का ट्रैफिक लॉस हुआ।
प्रबंधन ने संकेत दिए हैं कि विरोध में शामिल कर्मचारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई हो सकती है।

रेल, सड़क और टोल सेक्टर के जानकार कहते हैं कि ऐसे विवादों से निजी टोल संचालन की विश्वसनीयता पर असर पड़ता है और यात्रियों की सुरक्षा भी प्रभावित होती है।

यह घटना दिखाती है कि त्योहारी बोनस जैसे छोटे मुद्दे भी बड़े आर्थिक संकट का कारण बन सकते हैं, यदि संवाद की कमी हो।
कर्मचारियों की नाराज़गी और कंपनी की नीति के बीच पुल बनाना ज़रूरी है — ताकि अगली बार “टोल फ्री विरोध” की बजाय “टोल फ्री ट्रस्ट” दिखे।

त्योहार खुशियों का प्रतीक हैं — विवादों का नहीं। प्रशासन और कंपनियों को अब इससे सबक लेना चाहिए।

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